Writer's Corner
Thursday, January 9, 2020
आसरा (शायरी)
तुझमें और मुझमें चाहे जितना भी फासला रहा,
मैं जहाँ भी रहा सिर्फ तेरी यादों का आसरा रहा,
वक्त की बेईमानियों को क्या दोष दूँ मैं,
हर लम्हा, हर वक़्त, मैं सिर्फ तेरा ही इंतेज़ार करता रहा.
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जय वर्धन आदित्य
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