Saturday, January 4, 2020

अर्ज़ (शायरी)


काश एक मौका दिया होता, खुद को साबित कर पाता मैं,
अपने ख्वाहिशों का क़त्ल करके भी मुस्कराता मैं,
मेरी गलतियों की बजाए, वफाओं को याद रखा होता,
तो मैंने अपने दिल का तोहफा दिया होता.
- जय वर्धन आदित्य 


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